उत्तराखंड
Big breaking:-कुछ ऐसे मनाई गई नन्ही दुनिया की 75वी सालगिरह , रंगारंग प्रस्तुतियों ने बांधा समा
१५ को नन्ही दुनिया ने बच्चों एवं उनके हितेषियो के अंतरराष्ट्रीय आंदोलन में अपने 75 वे वर्षगांठ की शुरूवात की।
रंगशाला के कलाकारों ने संस्कृत के मंत्र उच्चारण कर समा बांध दिया।
तत्पश्चात ३०० श्रोताओं की उपस्थिति में सुंदर सभा के साथ कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया।
कवि सम्मेलन में देश के नामी प्रतिभागियों ने सहर्ष भाग लिया! कार्यक्रम का शुभारंभ माननीय कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिंह रावत, श्री विजय कुमार गोयल ने पारंपरिक ढंग से दीप प्रज्वलित कर किया।
इस अवसर पर मुख्य शिक्षा संवेदक आलोक उल्फत ने कहा कि इस माननीय आयोजन की एक उल्लेखनीय शुरुआत है क्योंकि कविता माननीय कलात्मक अभिव्यक्ति का सर्वोच्च रूप है और हम इस तरह के क्षणों को रचनात्मकता और गहरी मानवीय भावना को पोषित करने के लिए पाकर भाग्यशाली है। आंदोलन की मुख्य प्रवर्तक किरन उल्फत गोयल ने सभा में उपस्थित सभी श्रोताओ, नन्ही दुनिया समुदाय के सदस्यों, के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त की बाद में उन्होंने उन सभी कवियों की सराहना की जिन्होंने अपनी रचनाओं का सुंदर प्रदर्शन किया।
माननीय मुख्य अतिथि डॉ हरक सिंह रावत ने अपने आशीर्वचन देते हुए संबोधित करते हुए कहा कि नन्ही दुनिया देहरादून द्वारा आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग कर नन्ही दुनिया के नन्हे बच्चों से मिलने का एक अवसर प्राप्त हुआ। इन बच्चों को देख हम सभी को अपना बचपन याद आ गया।
नन्ही दुनिया देहरादून के बच्चों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतिओं से मेरे मन मोहा लिया साथ ही प्रतिभाशाली बच्चों और बड़ों ने साथ मिलकर इस लम्हे को यागदार बना दिया।मैं नन्ही दुनिया देहरादून के संस्थापकों तथा अध्यापकों को बहुत बधाई एवं शुभकामनएं देना चाहता हूँ, जिन्होंने नन्ही दुनिया में अध्ययनरत बच्चों के उत्थान एवं विकास के लिए जो कार्य किये जा रहे है वो अत्यंत सराहनीय एवं प्रशंसनीय है।
सात्विका ने सभी का आभार प्रकट किया।
नन्ही दुनिया ‘बच्चों और उनके हितैषीयो के अंतर्राष्ट्रीय आंदोलन’ ने 17 नवंबर 2021 को अपनी स्थापना के 75 साल पूरे किए। इस अवसर पर “रेनबो प्लैटिनम जुबली” का आयोजन किया गया। इस विशाल उपलब्धि को चिह्नित करने के लिए एक सप्ताह तक चलने वाला भव्य कार्यक्रम मनाया जा रहा है।
नन्ही दुनिया पिछले 75 वर्षों से बाल युवाओं महिलाओं को की सेवा में समर्पित है इसकी स्थापना आजादी से पूर्व 1946 में प्रोफेसर लेखराज उल्फत (1920 -1991 )ने की थी। सौभाग्य की बात है 1953 में श्रीमती साधना उल्फत (1925- 2001) उनके साथ जुड़ गई।
उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर बाल सेवा के इस आंदोलन को निरंतर बढ़ाने में सफल हो गए आज यह आंदोलन अनेकों शाखा वाला घने वृक्ष बन गया है। एक मात्र यही उद्देश्य था कि किस प्रकार निस्वार्थ भाव से बच्चों की संवेदनाओं को मूल आकार दिया जा सके। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि श्री तरुण विजय पूर्व सांसद राज्यसभा अध्यक्ष राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण एवं मुख्य प्रवर्तक श्रीमती किरण उल्फत गोयल ने पारंपरिक ढंग से दीप प्रज्वलित कर सपना दिवस का शुभारंभ किया। नन्हे नन्हे बच्चों द्वारा मुख्य अतिथि को तिलक एवं माल्यार्पण कर अभिनंदन किया गया।
श्री तरुण विजय ने अपने संबोधन में उल्लेख किया “यह वह जगह है जहां मेरा सांस्कृतिक प्रशिक्षण शुरू हुआ ।मैंने प्रोफेसर
लेखराज उल्फत जी से बहुत कुछ सीखा।उन्होने यह भी कहा कि नन्ही दुनिया के साथ मेरे गहरे संबंध है।नन्ही दुनिया के बच्चों ने आलोक उल्फत द्वारा रचित “चले चलो के गीत” की प्रस्तुति दी । वा
संयुक्त विश्व की आशा में “वी आर द वर्ल्ड “गीत को बहुत ऊर्जावान ढंग से प्रस्तुत किया गया।
नन्हीं दुनिया के समस्त शाखाओं के 80 बच्चों ने इस महोत्सव के दौरान “वन अर्थ ” फ्यूजन डांस की एक जोरदार प्रस्तुति दी जिसका निर्देशन सत्विका गोयल ने किया। बच्चों ने विश्व की विभिन्न संस्कृतियों के 20 लोक नृत्यों का मिश्रण प्रस्तुत किया। इन बच्चो में कुछ, सात्विका गोयल के नेतृत्व में भी उस टीम का हिस्सा रहे हैं जिसने दो साल तक पोलैंड में बच्चों के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक उत्सव – ब्रेव किड्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
ओजस्य सोहम उल्फत के “रनिंग ऑन द स्काई” गीत को ऑनलाइन यू ट्यूब में रिलीज भी किया गया वा युवा कलाकार ने गिटार पर गा कर सबका मन मोह लिया। नन्ही दुनियां के ७५ वर्ष के इतिहास पर एक पुस्तक का विमोचन भी किया।
आलोक उल्फत के मार्गदर्शन में स्वयंसेवक गुंजन ने इस पुस्तक का डिजाइन किया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद श्री तरुण विजय ने अभिभूत महसूस किया और उन्हें अपने समापन भाषण में कहा कि मैं आश्चर्यचकित हूं कि कैसा महसूस कर रहा हूं इस वर्णन करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है बच्चों ने ऊर्जावान मनमोहक प्रस्तुति दी उन्होंने कहा मैं इस प्रदर्शन को प्रधानमंत्री तक ले जाना चाहता हूं और मैं सरकार से निवेदन करूंगा कि प्रो उल्फत जी के नाम पर भी एक अवार्ड घोषित किया जाए श्रीमती किरण उल्फत गोयल ने समापन भाषण में अपना आभार व्यक्त करते हुए कहा, “नन्ही दुनिया के विकास की प्रक्रिया में समाज के सभी कोनों स समर्थन और भागीदारी का स्वागत है।”
श्री विजय ने कहां कि
यह अत्यधिक प्रसन्नता की बात है कि इस अवसर पर देश विदेशों से आए संदेश ,आशीर्वचन प्राप्त हुए जिसमें उपराष्ट्रपति, ओम बिरला लोक सभा स्पीकर अनेकों राज्यपाल, भारत सरकार एवं राज्यसभा के विशिष्ट मंत्री तथा बाल सेवा से जुड़े अनेकों संगठनों से शुभकामनाएं प्राप्त हुई
आलोक उल्फत ने अपने माता-पिता को याद किया और कहा, “मेरे पिता का समाज के वंचित वर्ग के लिए योगदान देने का सपना सच हो गया है और हमें इसे आगे बढ़ाने की जरूरत है।”
नन्ही दुनिया ट्रस्ट के सदस्यों में से एक, प्रसिद्ध गांधीवादी श्री रमेश शर्मा जी ने कहा, “यदि हमें विविधता और परिवर्तन की भावना को जीवित रखने की आवश्यकता है, तो हमें युवाओं और बच्चों की छोटी दुनिया (नन्ही दुनिया) को पोषित करने की आवश्यकता है”।
गणमान्य अतिथि श्रीमती छाया शर्मा ,श्री रमेश शर्मा श्रीमती एवं श्री आशीष जैन ,श्री विजय गोयल ,श्री रोहित शुक्ला श्री आलोक जैन, श्रीमती कांता ओबरॉय ,श्री योगेंद्र कुमार श्री सुधीर सिंधवानी श्रीमती एवं श्री गौरव लाउल
स्वयंसेवक शिवम हिमांशु दिया सूर्य प्रकाश अतुल यादव प्रकाश रेखा भावना बबीता कविता।
शिक्षाविद एवं समाजसेवी शामिल थे
कुवैत के नियमों का पूर्ण रुप से पालन किया गया दीपमाला से कार्यक्रम का समापन हुआ।
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