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मौसम के बदले मिजाज ने बढ़ाई केदारनाथ यात्रा में पर्यटकों की मुश्किल, तापमान 2 से 3 डिग्री तक पहुंचा

उत्तराखंड

मौसम के बदले मिजाज ने बढ़ाई केदारनाथ यात्रा में पर्यटकों की मुश्किल, तापमान 2 से 3 डिग्री तक पहुंचा

केदारनाथ में पल-पल बदल रहा मौसम यात्रियों लिए मुसीबत बन रहा है। बारिश, ओलावृष्टि और ऊपरी पहाड़ियों पर हो रहे हिमपात से केदारपुरी में ठंड बढ़ रही है, जिससे हाइपोथर्मिया के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। दिन और शाम के तापमान में यहां 18 से 21 डिग्री तक का अंतर है। इसके अलावा पैदल मार्ग पर रामबाड़ा से रुद्रा प्वाइंट तक चार किलोमीटर की चढ़ाई भी यात्रियों पर भारी पड़ रही है। कपाट खुलने के बाद अभी तक 28 यात्रियों की मौत हो चुकी है। इनमें से 27 यात्रियों को दिल का दौरा पड़ा था।

समुद्रतल से 11750 फिट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ तीन तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है। साथ ही गौरीकुंड की तरफ का क्षेत्र भी संकरा और घाटीनुमा है, जिससे यहां मौसम कभी भी खराब हो सकता है। यहां कब बारिश, ओलावृष्टि और बर्फबारी हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। मौसम का यही मिजाज बाबा केदार के भक्तों पर भारी पड़ रहा है। 6 मई से शुरू हुई यात्रा के बाद से आए दिन मौसम खराब हो रहा है। धाम में सुबह से दोपहर तक तापमान 20 से 24 डिग्री तक रहता है, लेकिन दोपहर बाद अचानक मौसम में बदलाव से पारा गिरकर 2 से 3 डिग्री तक पहुंच जाता है।

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बारिश के चलते दर्शनों के लिए लाइन में खड़े यात्री भीग रहे हैं, जिस कारण वे हाइपोथर्मिया का शिकार हो रहे हैं। इन हालातों में केदारनाथ में बीते एक सप्ताह में हाइपोथर्मिया के मामले 30 से 35 फीसदी बढ़े हैं। साथ चारों तरफ कोहरा छाने से कई यात्रियों को सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द, चक्कर आने की शिकायत हो रही है। इन समस्याओं से ही अभी तक ज्यादा यात्रियों की मौत हुई है।

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गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर रामबाड़ा से रुद्रा प्वाइंट के बीच चार किमी की कैंचीदार चढ़ाई यात्रियों को सबसे अधिक परेशान कर रही है। यहां मंदाकिनी नदी के दोनों तरफ ऊंचे-ऊंचे पहाड़ होने से क्षेत्र पूरी तरह से वी-आकार की घाटी जैसा है, जिस कारण यहां ऑक्सीजन का लेवल कम है। इस चार किमी क्षेत्र में कई यात्रियों की सांस फूल रही है, जो कई बार जानलेवा साबित हो रही है।

सोनप्रयाग में 50 वर्ष से अधिक उम्र के यात्रियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। बीते दस दिनों में 300 से अधिक यात्री अनफिट पाए गए, जिसमें सिर्फ 20 ही वापस लौटे हैं। शेष 280 ने अपने जोखिम पर केदारनाथ जाने के लिए शपथपत्र दिया और यात्रा की।

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सिक्स सिग्मा हाई एल्टीट्यूड मेडिकल सर्विस के सीईओ डा. प्रदीप भारद्वाज का कहना है कि केदारनाथ पैदल मार्ग पर मेडिकल क्यूआरटी तैनात की जानी चाहिए। यह टीम यात्रियों की जांच करते हुए किसी भी स्थिति में उन्हें त्वरित उपचार दे, जिससे मौत के मामलों में कमी आ सकती है। साथ ही एमआई-26 हेलीपैड से मंदिर तक पूरा टीन शेड कर देना चाहिए, जिससे धूप व बारिश से बचा जा सके।

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Author: Shakshi Negi
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