उत्तराखंड
पंचतत्व में विलीन हुए उत्तराखंड के पांच जांबाज, अंतिम विदाई में छलकी लोगों की आंखें
जम्मू-कश्मीर के कठुआ में हुए आतंकी हमले में बलिदान हुए पांचों वीर जवानों का उनके पैतृक घाटों पर पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। अपने बच्चों को तिरंगे में लिपटा देख बलिदानियों का परिवार नि:शब्द था, वहीं अंतिम यात्रा में पहुंचे हर शख्स की आंखों में आंसू थे। कहीं बहन ने अपने भाई के पार्थिव शरीर को कंधा दिया तो कहीं मासूम बच्चों ने अपने पिता को मुखग्नि दी। जखोली ब्लॉक के कांडा-भरदार गांव निवासी बलिदानी नायब सूबेदार आनंद सिंह रावत की अंत्येष्टि सैन्य सम्मान के साथ सूर्यप्रयाग घाट पर की गई। भारतीय सेना के जवानों ने अपने साथी को अंतिम सलामी देते हुए पुष्पचक्र अर्पित किए। बलिदानी की अंतिम विदाई में गांव से लेकर पैतृक घाट तक लोगों का हुजूम उमड़ा। आनंद सिंह का पार्थिव शरीर जब उनके घर पहुंचा तो उनका बड़ा बेटा मनीष अपनी मां को संभालता रहा।
बलिदान हुए 22 गढ़वाल राइफल्स के रिखणीखाल निवासी राइफलमैन अनुज नेगी और हवलदार कमल सिंह का बुधवार को उनके पैतृक घाटों पर राजकीय व सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया है। दोनों जगह बलिदानियों की अंतिम यात्रा में जनसैलाब उमड़ पड़ा। बलिदानियों के सम्मान में रिखणीखाल और आसपास के सभी बाजार बंद रहे। इस दौरान पूरा इलाका जब तक सूरज चांद रहेगा, तब तक अनुज व कमल का नाम रहेगा जैसे नाराें से गूंज उठा। कीर्तिनगर ब्लॉक के थाती डागर निवासी आदर्श नेगी को उनके पैतृक गांव में अंतिम विदाई दी गई। उनकी अंतिम यात्रा में जनसैलाब उमड़ पड़ा। मलेथा स्थित पैतृक घाट पर पूरे सैन्य सम्मान के साथ बलिदानी आदर्श नेगी का अंतिम संस्कार किया गया। उनके बड़े भाई अभिषेक ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी। बलिदानी विनोद भंडारी की राजकीय व सैन्य सम्मान के साथ पूर्णानंद घाट पर अंत्येष्टि की गई। यहां सैकड़ों लोगों ने नम आंखों से बलिदानी को अंतिम विदाई दी।
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