उत्तराखंड
उत्तराखंड में आयुर्वेद डॉक्टरों को सर्जरी की अनुमति देने का शुरू हुआ विरोध, 11 दिसंबर को ओपीडी बंद का ऐलान
देहरादून । आयुर्वेद डॉक्टरों को सर्जरी की अनुमति देने का निजी एलोपैथी डॉक्टरों ने विरोध किया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने सरकार के फैसले के विरोध में आठ नवंबर को सांकेतिक प्रदर्शन और 11 दिसंबर को निजी अस्पतालों में ओपीडी बंद करने का ऐलान किया है।आईएमए का कहना है कि आयुर्वेद को बढ़ावा देने और आयुष पद्धति से सर्जरी करने पर कोई विरोध नहीं है, लेकिन आयुष के नाम पर ऐलोपैथी चिकित्सा एनेस्थीसिया व दवाईयों का इस्तेमाल किया जाएगा। इस मिश्रित पैथी से इलाज करने से मरीजों की जान को खतरा होगा।केंद्र सरकार ने आयुर्वेद अध्ययन के पाठ्यक्रम में सर्जिकल प्रक्रिया को भी जोड़ा है। इससे आयुष शिक्षा में पीजी व एमएस कोर्स करने वाले डॉक्टर हड्डी, ईएनटी, आंखों व दांतों की सर्जरी कर सकेंगे। ऐलोपैथी डॉक्टर इसी का विरोध कर रहे हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ.डीडी चौधरी का कहना है कि आठ नवंबर को सभी निजी ऐलोपैथी डॉक्टर अपने-अपने क्षेत्रों में सांकेतिक प्रदर्शन करेंगे। 11 दिसंबर को सभी निजी अस्पतालों में ओपीडी बंद रहेगी। कोरोना महामारी के चलते इमरजेंसी सेवा ही उपलब्ध होगी।आईएमए का कहना है कि आयुर्वेद को बढ़ावा देने और आयुष चिकित्सा पद्धति से सर्जरी करने का विरोध नहीं है, लेकिन पहले आयुष पद्धति में एनेस्थीसिया को विकसित करें। आयुष व मॉर्डन मेडिकल से गंभीर मरीज पर होने वाले रिएक्शन पर बिना रिसर्च किए सरकार ने सर्जरी की अनुमति दे दी। कहा कि यदि एलोपैथिक सर्जरी में मरीज को आयुष का लेप लगाया गया तो मरीज की मौत भी हो सकती है।
भारतीय चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष डीके शर्मा ने कहा सरकार ने आयुष चिकित्सा को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। वर्तमान में सेवाएं दे रहे आयुष डॉक्टरों को सर्जरी करने की अनुमति नहीं है। सरकार ने आयुर्वेद शिक्षा के पाठ्यक्रम में सर्जिकल प्रक्रिया को शामिल किया है। पीजी व एमएस करने वाले नए आयुर्वेद डॉक्टरों को ही हड्डी, ईएनटी, आंख व दांतों की सर्जरी की अनुमति होगी। इस पर ऐलोपैथी डॉक्टरों को किसी तरह की दिक्कत नहीं होनी चाहिए। आयुर्वेद डॉक्टर भी ऐलोपैथी डॉक्टर की तरह साढ़े पांच साल कोर्स करके आता है।
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