उत्तराखंड
सीएम चेहरों के चुनावी हार के साथ इनके करीबियों को भी जनता ने नकार दिया
उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव कई संदेशों को देने वाला है इस चुनाव में बीजेपी ने सत्ता हासिल की लेकिन सीएम के रूप में पुष्कर सिंह धामी हार गए वही हरीश रावत कांग्रेस का चेहरा थे वह भी हार गए यह तुम्हारे ही साथ ही साथ उनके करीबी भी हार गए
उत्तराखंड विधानसभा के गुरुवार को घोषित चुनाव परिणामों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ही नहीं हारे, बल्कि इनकी लॉबी को भी तगड़ा झटका लगा है. थामी की मौजूदगी के बीच उनके गृह जिले ऊधमसिंह नगर में भाजपा को पांच सीटों का नुकसान हुआ, वहीं हरीश रावत के इशारे पर टिकट पाने वाले एक दर्जन से ज्यादा उनके करीबी प्रत्याशियों की हार ने कांग्रेस की सत्ता में वापसी का सपना तोड़ दिया.
कांग्रेस हाईकमान ने उत्तराखंड में पूर्व सीएम हरीश रावत को चुनाव संचालन समिति का अध्यक्ष बनाने के बाद साफ कर दिया था कि अहम फैसले रावत के ही मान्य होंगे. जिसके बाद पार्टी के भीतर तमाम विरोध गतिरोध के बावजूद रावत लॉबी के चहेतों के सबसे ज्यादा टिकट फाइनल हुए. बात रामनगर से रणजीत रावत को सल्ट भेजने की हो. यशपाल आर्य-संजीव आर्य की कांग्रेस में वापसी कराकर टिकट दिलाने की हो या फिर अपना टिकट रामनगर में फाइनल कराने के बाद ऐन मौके पर लालकुआं से चुनाव लड़ने के फैसले की हर बार हरीश रावत की इच्छा को ही तरजीह मिली.
जबकि, कुछ अहम सीटों पर प्रीतम गुट के चहेतों के टिकट भी रावत से तमाम मान-मनौव्वल के बाद ही • फाइनल हो सके. पर गुरुवार को सामने आए एकदम उलट परिणामों से साफ हो चुका है कि सिर्फ हरीश रावत की हार ही नहीं हुई है, बल्कि उनकी लॉबी को भी तगड़ा झटका लगा है. उनके गुट के एक दर्जन से अधिक प्रत्याशियों को हार का मुंह देखना पड़ा है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि यह नतीजे कांग्रेस हाईकमान को भी नए नेतृत्व पर नए सिरे से सोचने पर जरूर मजबूर करेंगे.
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