उत्तराखंड
राज्य आंदोलनकारियों के क्षैतिज आरक्षण के लिए विधानसभा में आएगा विधेयक, धामी सरकार की यह हो रही तैयारी
उत्तराखंड सरकार राज्य आंदोलनकारियों को क्षैतिज आरक्षण देने के लिए संशोधित विधेयक लाने की तैयारी कर रही है। इस माह होने वाली कैबिनेट में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी जा सकती है। वर्ष 2016 में हरीश रावत सरकार ने आंदोलनकारियों को आरक्षण देने के लिए विधेयक मंजूर किया था, लेकिन तब से यह राजभवन में लंबित था।
पिछले माह मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने संशोधन के लिए इसे वापस मंगा लिया था। सूत्रों ने बताया कि कार्मिक विभाग ने इस पर न्याय विभाग से परामर्श मांग लिया है। अब संशोधित विधेयक के रूप में इसे कैबिनेट में लाने की तैयारी है, जिससे इसी विधानसभा के सत्र में इसे पारित कराकर राजभवन की मंजूरी के लिए भेजा जा सके।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी संशोधित विधेयक कैबिनेट में लाने के संकेत दिए हैं। कार्मिक विभाग के एक वरिष्ठ अफसर ने बताया कि विधेयक का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। विधेयकर को लेकर तैयारी भी की जा रही है।
हाईकोर्ट ने अगस्त, 2013 में आंदोलनकारियों के आरक्षण पर रोक लगा दी थी। 2018 में इसके जीओ, सरकुलर व अधिसूचना को खारिज कर इसे असंवैधानिक करार दिया था। एनडी सरकार ने 2004 में आंदोलनकारियों को आरक्षण दिया था। इसके तहत सात दिन से अधिक जेल में रहने वाले और घायलों को डीएम के स्तर से सीधे नौकरी।
छह दिन तक जेल में रहने वालों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया था। अगस्त, 2010 में निशंक सरकार ने चिह्नित आंदोलनकारियों को और दिसंबर, 2011 में खंडूड़ी सरकार ने आश्रितों को भी आरक्षण की व्यवस्था की थी।
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