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उत्तराखंड के राष्ट्रीय राजमार्गों को लेकर संसद में उठा सवाल, डॉ. नरेश बंसल ने मांगी परियोजनाओं की स्थिति

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उत्तराखंड के राष्ट्रीय राजमार्गों को लेकर संसद में उठा सवाल, डॉ. नरेश बंसल ने मांगी परियोजनाओं की स्थिति

देहरादून- ’भाजपा राष्ट्रीय सहकोषाध्यक्ष एवं सासंद राज्य सभा डा. नरेश बंसल ने सदन मे अतारांकित प्रश्न के माध्यम से उत्तराखण्ड में राष्ट्रीय राजमार्ग सबंधित प्रश्न दिल्ली-देहरादून, बारहमासी सडक और अन्य राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) के बारे में एवं देहरादून-पांवटा साहिब, देहरादून- हरिद्वार, देहरादून-मसूरी और देहरादून-सहारनपुर खंडों को जोडने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों/सडकों पर क्षतिग्रस्त पुलों के पुनर्निमाण/पुनस्र्थापन का विवरण पर प्रश्न किया।’’

डा. नरेश बंसल ने सदन मे पूछा कि क्या सडक परिवहन और राजमार्ग मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि,
क- उत्तराखण्ड में दिल्ली-देहरादून बारहमासी सडक और अन्य राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) का कार्य कब तक पूरा हो जाएगा।
ख- क्या निर्माण के दौरा चट्टान काटने और ढलान उपचार से संबंधित सभी मानकों का पालन किया जा रहा है।
ग- देहरादून-पांवटा साहिब, देहरादून-हरिद्वार, देहरादून-मसूरी और देहरादून-सहारनपुर राष्ट्रीय राजमार्गों पर आपदाओं के दौरान क्षतिग्रस्त हुए पुलों का पुनर्निमाण कब तक पूरा हो जाएगा और,
घ- उत्तराखण्ड में प्रधानमंत्री ग्राम सडक योजना (पीएमजीएसवाई) के अंतर्गत कितने गांवों को जोडा चुका है और कितने गांव अभी जोडे जाने शेष हैं?
डा. नरेश बंसल के जवाब मे सडक परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन जयराम गडकरी ने उत्तर दिया किः-
क से ग दिल्ली-देहरादून पहुंच नियंत्रित राजमार्ग को जोडने वाली परियोजनाओं की पैकेज-वार स्थिति अनुलग्नक में संलग्न है। उत्तराखण्ड राज्य में अन्य राष्ट्रीय राजमार्गों पर चल रहे कार्य अप्रैल 2028 तक पूरा करने की योजना है।

यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास किये जाते हैं कि राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण निर्धारित गुणवत्ता मानकों के अनुसार किया जाए, जिसमें भारतीय सडक कांग्रेस (आईआरसी) के विनिर्देशों और कोडों में निर्दिष्ट उत्खनन/कटाई और ढलान की मरम्मत आदि के मानक शामिल हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि राजमार्ग निर्माण निर्धारित गुणवत्ता मानकों का पालन करता है, कार्यकारी संस्थाओं द्वारा कार्यस्थल पर कार्यों के दैनिक पर्यवेक्षण के लिए परामर्शदाता (प्राधिकरण के इंजीनियरध्स्वतंत्र इंजीनियर-एइ/आईई) नियुक्त किए जाते हैं। कार्यकारी संस्थाओं के अधिकारी समय-समय पर निरीक्षण करते हैं और यह सुनिश्चित करते है कि रियायतग्राही/संविदाकरों द्वारा किए गए कार्य की गुणवत्ता निर्धारित आवश्यकताओं के अनुरूप हो।

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पहाडी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में राष्ट्रीय राजमार्ग सहित आपदा प्रतिरोधी राष्ट्रीय राजमार्गों की अवसंरचना के विकास के लिए विभिनन पहलें की गई हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैंः-

1- विशेषज्ञ समिति की रिपोेर्ट के अनुसार पहाडी क्षेत्रों में भूस्खलन प्रबंधन क्षेत्रों के लिए लागत प्रभावी दीर्घकालिक सुधारात्मक उपयों के कार्यान्वयन हेतु नवंबर, 2024 में निर्णय लिया गया।
2- अब से ढलान काटने और स्थिरीकरण कार्यों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने का निर्णय लिया गया है, जिसके बाद पहाडी/पर्वतीय क्षेत्रों में राजमार्गों के लिए सडक निर्माण कार्य किए जाये। सड़क निर्माण कार्य तभी प्रारंभ होंगे जब खंडवार सुरक्षा उपाय पूरे हो जायेंगे।
3- पहाडी क्षेत्रों में राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण से संबंधित चिंताओं के समाधान हेतु अतिरिक्त सवंर्धित और व्यवस्थित निदानात्मक उपायों हेतु नवंबर 2025 में एक व्यापक नीति परिपत्र को अंतिम रूप दिया जाएगा।
4- उत्तराखण्ड और अरूणाचल प्रदेश राज्यों के लिए विशेष भूस्खलन प्रबंधन उपायों के लिए टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट काॅरपोरेशन इंडिया लि0 (टीएचडीसीआईएल) के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।
5- राष्ट्रीय राजमार्गों पर भू-खतरे के शमन उपायों के तकनीकी सहयोग के लिए रक्षा भू-सूचना विज्ञान अनुसंधान प्रतिष्ठान (डीजीआरई) के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
6- सुरंगों की भूवैज्ञानिक जांच और भू संकट संबंधी अध्ययन हेतु डेटा साझा करने पर भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीआईएस) के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
7- एनएचआईडीसीएल द्वारा राष्ट्रीय शैल यांत्रिकी संस्थान (एनआईआरएम) के साथ सुरंग परियोजनाओं, सडक परियोजनाओं, डीपीआरध्निर्माण चरण के दौरान सुरंग के डिजाइन और रेखाचित्रों की समीक्षा/सबूत जांच, उपकरणों और निगरानी उपकरणों की पर्याप्तता की जांच, सुरंग सुरक्षा लेखा परीक्षा, कार्य पैकेज के लिए शैल यांत्रिकी और शैल इंजीनियरिंग पर आधारित वैज्ञानिक जांच तैयार करने, अधिकारियों को प्रशिक्षण आदि के लिए व्यापक सहयोग हेतु समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
8- शिलांग-सिलचर ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड काॅरिडोर के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट की सहकर्मी समीक्षा हेतु एनआईआरएम के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

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सडक परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन जयराम गडकरी ने देहरादून-पांवटा साहिब, देहरादून- हरिद्वार, देहरादून-मसूरी और देहरादून-सहारनपुर खंडों को जोडने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों/सडकों पर क्षतिग्रस्त पुलों के पुनर्निमाणध्पुनस्र्थापन का विवरण मे बताया किः-

देहरादून-पौंटा साहिबः– क्षतिग्रस्त पुल मौजूदा एनएच-72 के देहरादून-पांवटा साहिब चैनेज 142 पर उत्तरांचल विश्वविद्यालय (प्रेम नगर) देहरादून के पास है, जिसके लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचआई) द्वारा बाईपास का निर्माण किया जा रहा है, और कार्य पर्याप्त रूप तक पूर्ण हो चुका है। राज्य लोक निर्माण विभाग ने एकमुश्त सुधार (ओटीआई) के तहत क्षतिग्रस्त पुल की मरम्मत के लिए लगभग 17.00 करोड रूपये का अनुमान एनएचआई को प्रस्तुत किया है और यह एनएचआई में जांच के अध्याधीन है।

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देहरादून- हरिद्वारः- पुराना 2 लेन वाला जाखन पुल 2025 के मानसून में क्षतिग्रस्त हो गया था। यातायात मौजूदा 2 लेन वाले नए जाखन पुल से होकर गुजर रहा है। नए पुल का निर्माण जून, 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य है।

देहरादून-मसूरीः देहरादून-मसूरी मोटर मार्ग राज्य राजमार्ग (एसएच संख्या-1) पर किमी0 18 (शिव मंदिर के पास) पर स्थित आर्य ब्रिज 15.09.2025 को क्षतिग्रस्त हो गया था। उसी स्थान पर एक वैली पुल स्थापित किया गया है। वर्तमान में इस स्थान के निकट 60 मीटर स्पैन 70 आर श्रेणी क लोडिंग पुल प्रस्तावित है। इसके लिए निविदाएं आमंत्रित की गई हैं और इसे जून 2026 तक पूर्ण कर लिया जायेगा।

देहरादून-सहारनपुरः- पुलों को कोई नुकसान नहीं हुआ है।
घ- प्रधानमंत्री ग्राम सडक योजना (पीएमजीएसवाई-1) एकबारगी विशेष उपाय है जिसका उद्देश्य ग्रामीण आबादी की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कोर नेटवर्क में निर्दिष्ट जनसंख्या आकार मैदानी क्षेत्रों में 500 से अधिक और पूर्वोत्तर राज्यों, हिमालयी राज्यों और हिमालयी केंद्र शासित प्रदेशों में 250 से अधिक वाले पात्र असंबद्ध बस्तियों को एकल बारहमासी सडक के माध्यम से ग्रामीण संपर्कता प्रदान करना है।

इस कार्यक्रम की इकाई एक बस्ती है, कोई राजस्व गांव या पंचायत नहीं है। बस्ती एक ऐसे क्षेत्र में रहने वाली आबादी का समूह है जिसका अवस्थान समय के साथ नहीं बदलता है। उत्तराखण्ड राज्य में, पीएमजीएसवाई-1 के तहत 1864 पात्र बस्तियां स्वीकृत की गयी हैं। जिनमें से 1860 बस्तियों को बारहमासी सडक संपर्कता प्रदान की जा चुकी है।

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Author: Shakshi Negi
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