Connect with us

नीतीश कुमार ने रचा इतिहास- दसवीं बार ली मुख्यमंत्री पद की शपथ

देश

नीतीश कुमार ने रचा इतिहास- दसवीं बार ली मुख्यमंत्री पद की शपथ

शपथ समारोह में प्रधानमंत्री मोदी समेत कई दिग्गज नेता रहे मौजूद 

पटना। बिहार की सत्ता में एक बार फिर अनुभवी नेतृत्व की वापसी हुई है। 2025 के विधानसभा चुनाव में NDA की जीत के साथ नीतीश कुमार ने रिकॉर्ड बनाते हुए दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। लंबे राजनीतिक अनुभव, संतुलित नेतृत्व और प्रशासनिक सुधारों के कारण वे देश के सबसे स्थायी और प्रभावशाली मुख्यमंत्रियों की श्रेणी में शामिल हो गए हैं। पटना के गांधी मैदान में हुए भव्य समारोह में 26 नवनियुक्त मंत्रियों ने भी शपथ ली। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत केंद्र व राज्यों के कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे।

एनडीए की हालिया जीत के बाद आयोजित इस कार्यक्रम ने बिहार की नई राजनीतिक तस्वीर को साफ कर दिया है। 243 सीटों वाली विधानसभा में NDA गठबंधन ने 202 सीटें हासिल की हैं, जिनमें भाजपा को 89, जदयू को 85, लोजपा (रामविलास) को 19, हम (सेक्युलर) को 5 और रालोमो को 4 सीटें मिलीं।

यह भी पढ़ें -  अदालत का बड़ा फैसला— अल-फलाह समूह के चेयरमैन जावद सिद्दीकी की 13 दिन की ईडी रिमांड मंजूर

शपथ ग्रहण समारोह में केंद्रीय मंत्रियों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों की मौजूदगी ने कार्यक्रम को और खास बनाया। माना जा रहा है कि यह शपथ ग्रहण बिहार की भविष्य की शासन-व्यवस्था और राजनीतिक दिशा को नए आयाम देगा।

नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर साधारण पृष्ठभूमि से शुरू होकर राज्य के पुनर्निर्माण के प्रतीक तक पहुँचा है। पटना जिले के बख्तियारपुर में 1951 में जन्मे नीतीश ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद 70 के दशक में जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से जुड़कर सक्रिय राजनीति में कदम रखा। इसी दौर ने उनके भीतर सामाजिक न्याय और प्रशासनिक सुधारों के लिए ठोस दृष्टि विकसित की।

यह भी पढ़ें -  दिल्ली फिर बनी गैस चैंबर, लगातार तीसरे दिन हवा ‘गंभीर’ श्रेणी में

1985 में पहली बार लोकसभा पहुँचे नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय राजनीति में भी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराई। रेल मंत्री, कृषि मंत्री और सड़क परिवहन मंत्री जैसे अहम मंत्रालय उनके कार्यकाल में पारदर्शिता और आधारभूत सुधारों के लिए जाने जाते हैं। रेल मंत्रालय में उनके प्रयासों ने यात्री सुविधाओं को नई दिशा दी, जिसकी खूब सराहना हुई।

हालाँकि, उनका असल प्रभाव बिहार की सत्ता में दिखाई देता है। 2005 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने कानून-व्यवस्था, सड़क नेटवर्क, बिजली आपूर्ति और शिक्षा व्यवस्था में उल्लेखनीय सुधार शुरू किए। इनके परिणामों ने बिहार की छवि को काफी हद तक सकारात्मक दिशा में बदला।

महिला सशक्तिकरण को उनकी नीतियों ने विशेष पहचान दिलाई—चाहे पंचायतों में 50% आरक्षण हो या कन्या उत्थान जैसी योजनाएँ। ग्रामीण विकास के लिए “सात निश्चय” कार्यक्रम ने कई बुनियादी सुविधाओं तक पहुँच आसान की। शराबबंदी जैसे निर्णयों ने उन्हें सामाजिक सुधारक की छवि भी दी, भले ही यह फैसला विवादों में रहा हो।

यह भी पढ़ें -  दिल्ली की चार जिला अदालतों को मिली बम से उड़ाने की धमकी, सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर

सबसे विशेष बात यह है कि गठबंधन राजनीति में उनकी समझ और संतुलन बनाने की क्षमता ने उन्हें वर्षों तक सत्ता में बनाए रखा। बदलते राजनीतिक समीकरणों के बीच भी वे हमेशा प्रशासन के केंद्र में रहे, जो उनकी रणनीति और जनस्वीकार्यता को दर्शाता है।

दसवीं बार मुख्यमंत्री बनकर नीतीश कुमार ने स्पष्ट कर दिया है कि वे सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि बिहार की आधुनिक राजनीति के प्रमुख नायक हैं, जिनके फैसले आने वाले समय में भी राज्य की दिशा तय करेंगे।

Ad Ad
Continue Reading

More in देश

Latest News

Author

Author: Shakshi Negi
Website: www.gairsainlive.com
Email: gairsainlive@gmail.com
Phone: +91 9720310305