उत्तराखंड
नंदा देवी लोकजात यात्रा का हुआ विधिवत समापन, पर्यावरण मित्र बिष्ट ने कहा बुग्यालो का संरक्षण हमारा कर्तव्य
देवाल – पर्यावरण मित्र बलवंत सिंह बिष्ट ने बताया कि विश्वप्रसिद्ध श्री नदा लोक राजजात सैकडो श्रद्धालुओ ने पूजा-अर्चना खाजा कलेवो पवाड़ा भेटोली ब्रह्मकमल सहित रंग बिरंगे फूलों को चढ़ा कर विधिवत मां भगवती को कैलाश विदाई कर यात्रा का समापन लगभग 12000 फिट की ऊंचाई पर 13 दिवसीय की यात्रा के दौरान सैकडो़ श्रद्धालुओं ने बेदनी कुंड में अपने पितरों के तर्पण श्राद्ध कर पित्र मोक्ष प्राप्ति किई ।उत्तराखंड के बुग्यालो को संरक्षित करने के लिए उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्थित बुग्यालो में वर्तमान में कई प्रकार का संकट मंडरा रहा है।
इन बुग्यालो में विभिन्न प्रजाति की जैव विविधता , वनस्पति, जड़ी -बूटियां अकूत मात्रा में उपलब्ध है ।बुग्यालो पर बढ़ते मानवीय दखल से इन बुग्यालो पर प्लास्टिक व अन्य प्रदूषण बढ़ता जा रहा है इसके फलस्वरूप बुग्यालो में प्राकृतिक स्वरूप खराब हो रहा है वही जैव विविधता वनस्पतियो औषधीय गुणवत्ता भी प्रदूषण की भेट चढ़ रही हैं सरकारों जनसरोकारो से जुड़ी संस्थाओं के साथ आम जनमानस को भी बुग्यालो को बचाने व संरक्षण और संवर्दृन की शपथ लेनी होगी तभी मानव जीवन का उधार है बुग्यालो का धार्मिक और पौराणिक महत्व भी है जैसे वेदनी बुग्याल, आँली बुग्याल ,बगजी बुग्याल, नावाली बुग्याल को हम सबको मिलकर संरक्षण और संवर्धन पर बचाने का अभियान चलाना चाहिए और प्राकृतिक बुग्यालो की तलहटी में बसे गांव क्षेत्र की युवा समाजसेवी प्रकृति प्रेमी जनप्रतिनिधियों को जन जागरुकता अभियान के आधार पर बाहर से आए पर्यटक शौलानियों को यहा कि जड़ी -बूटियों की विशेषताएं को बताना चाहिए ताकि यहां कि जड़ी- बूटियों जैव विविधता वनस्पति का संरक्षण हो सके और इनके दोहन पर रोक लग सकें।
पर्यावरण मित्र बलवंत सिंह बिष्ट ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों जल और जंगल जमीन पर्यावरण के संरक्षण की मुहिम को हमें जारी रखना चाहिए क्योंकि यह अमूल्य धरोहर है प्रकृति को संजोए रखने के लिए उत्तराखंड के परंपरा धार्मिक पौराणिक संस्कृति धरोहर को बचाना हमारा लक्ष्य ही नहीं बल्कि पर्यावरण संतुलन बनाना हम सभी मानव जाति का धर्म ही नही और कर्म भी है।
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