Connect with us

बुग्यालों में परमिट नहीं मिलने से रास्तों में डेरा डाले बैठे हैं वन गुर्जर, मवेशियों के साथ संकट में जीवन

उत्तराखंड

बुग्यालों में परमिट नहीं मिलने से रास्तों में डेरा डाले बैठे हैं वन गुर्जर, मवेशियों के साथ संकट में जीवन

पुरोला (उत्तरकाशी)।
उत्तरकाशी जिले के ऊंचाई वाले बुग्यालों (ऊंचे घास के मैदान) की ओर हर साल गर्मियों में मवेशियों को चराने जाने वाले वन गुर्जरों के सामने इस बार बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है। वन विभाग से चराई परमिट नहीं मिलने के कारण दर्जनों गुर्जर परिवार अपने सैकड़ों मवेशियों के साथ रास्तों में ही डेरा डाले हुए हैं

टौंस और चकराता वन प्रभाग के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में सहारनपुर, मोहंड जैसे उत्तर प्रदेश के मैदानी इलाकों से आने वाले गुर्जरों को इस बार पर्यावरणीय कारणों या प्रशासनिक दिशा-निर्देशों के चलते रोका जा रहा है। इससे प्रभावित लोगों की आजीविका पर सीधा असर पड़ रहा है।

यह भी पढ़ें -  हेमकुंड साहिब यात्रा का शुभारंभ- पंज प्यारों की अगुवाई में श्रद्धालुओं का जत्था रवाना

सड़कों और जंगलों में तंबू गाड़कर दिन काट रहे गुर्जर

करीब तीन दर्जन से अधिक वन गुर्जर परिवार अपने मवेशियों के साथ टौंस वन प्रभाग और मोरी पार्क क्षेत्र के जंगलों की ओर पहुंच चुके हैं। लेकिन बगैर परमिट के वे मियांगाड़, नासना तपड़ सांद्रा, ठडियार और चकराता वन प्रभाग के त्यूणी क्षेत्र में सड़क किनारे और जंगलों में अस्थायी रूप से रह रहे हैं।

इनमें से कई परिवार पिछले कई दिनों से वहीं पर रुके हुए हैं, लेकिन उन्हें न तो आगे बढ़ने दिया जा रहा है और न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गई है।

यह भी पढ़ें -  कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने गल्जवाड़ी में 92 लाख की लागत से बनने वाले सामुदायिक भवन का किया शिलान्यास

वन विभाग का रवैया सवालों के घेरे में

वन गुर्जरों का आरोप है कि वे हर साल की तरह इस बार भी समय पर अपने मवेशियों के साथ बुग्यालों की ओर निकले थे, लेकिन इस बार विभाग ने उन्हें बगैर पूर्व सूचना के रोका है। न परमिट दिए जा रहे हैं और न ही चराई का कोई वैकल्पिक स्थान सुझाया गया है। इससे मवेशियों को चारा नहीं मिल पा रहा और बीमार होने का खतरा बढ़ गया है

यह भी पढ़ें -  भारत से हारने की खुशी में मुनीर को पाक ने पहनाया हार- महाराज

पर्यावरण संरक्षण बनाम पारंपरिक आजीविका

वन विभाग का पक्ष अभी सामने नहीं आया है, लेकिन माना जा रहा है कि संवेदनशील बुग्याल क्षेत्रों के संरक्षण और बढ़ते दबाव को देखते हुए इस बार चराई परमिट जारी करने में सख्ती बरती जा रही है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि गुर्जरों की पारंपरिक जीवनशैली और आजीविका को भी संरक्षण की आवश्यकता है, ताकि वन संरक्षण और मानवीय संवेदना में संतुलन कायम रखा जा सके।

Continue Reading

More in उत्तराखंड

Latest News

Author

Author: Shakshi Negi
Website: www.gairsainlive.com
Email: gairsainlive@gmail.com
Phone: +91 9720310305