देश
सीपी राधाकृष्णन देश के 15वें उपराष्ट्रपति बने, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद बने नए उपराष्ट्रपति
नई दिल्ली। सीपी राधाकृष्णन ने आज देश के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित गरिमामय समारोह में उन्हें पद की शपथ दिलाई। 67 वर्षीय राधाकृष्णन ने उपचुनाव में इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार पूर्व जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों से पराजित किया। यह चुनाव 9 सितंबर को हुआ था, जो पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद आयोजित कराया गया।
महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा
उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद राधाकृष्णन ने महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से त्यागपत्र दे दिया था। राष्ट्रपति भवन से जारी बयान के अनुसार, उनके इस्तीफे के बाद गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। अब देवव्रत दोनों राज्यों के राज्यपाल के तौर पर जिम्मेदारी निभाएंगे।
धनखड़ के इस्तीफे के बाद बने नए उपराष्ट्रपति
संसद के मानसून सत्र के दौरान जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर पद से इस्तीफा दे दिया था, जबकि उनका कार्यकाल अभी दो साल बाकी था। इसी वजह से मध्यावधि चुनाव की नौबत आई।
छात्र आंदोलन से उपराष्ट्रपति तक का सफर
राधाकृष्णन की राजनीतिक यात्रा बेहद असाधारण रही है। छात्र आंदोलन से शुरुआत करने वाले राधाकृष्णन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े और वहीं से भाजपा की राजनीति में आए। संगठन में लंबे समय तक काम करते हुए उन्होंने तमिलनाडु भाजपा की कमान संभाली और कई अभियानों का नेतृत्व किया। 2007 में उनकी 93 दिन की रथ यात्रा विशेष रूप से चर्चा में रही, जिसमें उन्होंने नदियों को जोड़ने, आतंकवाद उन्मूलन, समान नागरिक संहिता और नशे के खिलाफ जनजागरूकता जैसे मुद्दे उठाए।
राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव से परिपूर्ण
राधाकृष्णन को संगठन और प्रशासन, दोनों क्षेत्रों में मजबूत नेता माना जाता है। उनके समर्थक उन्हें ‘तमिलनाडु का मोदी’ भी कहते हैं। वह महाराष्ट्र और झारखंड के राज्यपाल रहे, साथ ही तेलंगाना और पुडुचेरी का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाला। 1998 और 1999 में वह कोयंबटूर से लोकसभा सांसद चुने गए। संसद में उन्होंने स्थायी समितियों और विशेष जांच समितियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान
राधाकृष्णन ने 2004 में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया और ताइवान जाने वाले पहले भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बने। बाद में उन्हें कॉयर बोर्ड का अध्यक्ष भी बनाया गया, जहां उनके नेतृत्व में नारियल रेशे के निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि हुई।
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