उत्तराखंड
आपदा में तपोवन और ऋषि गंगा जल विद्युत परियोजनाओं को हुआ 1500 करोड़ का नुकसान
देहरादून । केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने सोमवार को प्रभावित क्षेत्र तपोवन का दौरा कर स्थानीय लोगों से आपदा की जानकारी ली। उन्होंने एनटीपीसी के अधिकारियों से परियोजना के बारे में जानकारी भी ली। उन्होंने कहा कि तपोवन और ऋषि गंगा परियोजनाओं को लगभग 1500 करोड़ की क्षति हुई है। वर्ष 2023 तक 520 मेगावाट की तपोवन-विष्णुगाड परियोजना का कार्य पूरा पूर्ण होना था, लेकिन परियोजना बैराज, टनल और आसपास टनों मलबा पसरा है। इसे हटाने में समय लगेगा। इसके बाद परियोजना निर्माण कार्य दोबारा शुरू किया जाएगा।
आपदा में घायलों को मिले बेहतर इलाज की सुविधा
चमोली जिले के जोशीमठ में ग्लेशियर टूटने से मची तबाही में बचाव व राहत कार्यों में आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती ने गढ़वाल मंडल के सभी सीएमओ को आदेश जारी किया है। प्रभावित क्षेत्रों में डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ के साथ दवाइयां उपलब्ध कराने को कहा गया है।
महानिदेशक ने चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी जिलों के सीएमओ को निर्देश दिए कि जिला प्रशासन व एसडीआरएफ के दिशा-निर्देशों का पालन कर घायलों को बेहतर इलाज की सुविधा दी जाए। आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं में डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ के साथ दवाइयां व अन्य मेडिकल उपकरण की कमी नहीं होनी चाहिए।
मुसीबत में फंसे मजदूरों का बीएसएनएल बना सहारा
चमोली आपदा के दौरान टनल में फंसे मजदूरों को मौत के मुंह से बाहर खींच लाने में बीएसएनएल (भारत संचार निगम लिमिटेड) की मोबाइल सेवा सहारा बन गई। आईटीबीपी और राहत दल ने तपोवन-विष्णुगाड़ परियोजना की टनल में फंसे 12 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला है।
टनल में फंसे इन मजदूरों मे नृसिंह मंदिर जोशीमठ निवासी राकेश भट्ट भी शामिल थे। राकेश ने बताया कि वे परियोजना स्थल पर काम करा रही रित्विक कंपनी में आपरेटर हैं। रविवार की सुबह ड्यूटी टाइम पर वह भी अन्य मजदूरों के साथ टनल के अंदर काम करने चले गए। वह मलबे को बाहर खींचने वाले लोडर पर काम कर रहे थे, अन्य मजदूर भी अपने काम में जुटे थे, तभी यकायक टनल के अंदर मलबे से साथ पानी भर आया। मिनटों में ही पानी का प्रवाह तेज होने पर उनमें अफरातफरी मच गई। वे बाहर निकलना चाहते थे, लेकिन रास्ता नहीं मिला।
राकेश ने बताया कि हालात काफी भयावह होने से उनका हौसला टूटने लगा था। आखिरकार थक हारकर ईश्वर को याद करते हुए सभी 12 लोग मशीनों के ऊपर चढ़ गए। इस दौरान उन्होंने अपने घर परिवार और कंपनी के लोगों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन किसी भी मोबाइल कंपनी के नेटवर्क के काम नहीं करने से वह सूचना नहीं दे पाए। इस बीच बीएसएनएल की फोन सेवा से एक किरण दिखाई दी। बीएसएनएल फोन पर सिग्नल आते ही उन्होंने अपने अधिकारियों को टनल में फंसे होने की सूचना दी। अधिकारियों की सूचना के बाद आईटीबीपी और राहत दल ने रेस्क्यू अभियान चलाकर उन्हें सुरक्षित बचा लिया।
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