Connect with us

कौन है जो बात का बतंगड़ बनाने में जुटे है , क्या किसी अभियान का हिस्सा तो नहीं

उत्तराखंड

कौन है जो बात का बतंगड़ बनाने में जुटे है , क्या किसी अभियान का हिस्सा तो नहीं

एक बात तो सोचनी और समझनी पड़ेगी। बीते 16 मार्च को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत…

एक बात तो सोचनी और समझनी पड़ेगी। बीते 16 मार्च को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से ‘बच्चों में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति, रोकथाम और पुनर्वास’ विषय पर कार्यशाला में संस्कार पर अपना भाषण केन्द्रित किया। उन्होंने कहा कि यदि बच्चों में संस्कार अच्छे हों तो वह नशे समेत अन्य किसी भी गलत प्रवृत्ति में नहीं फंस सकते। इसी संदर्भ में उन्होंने युवाओं खासकर महिलाओं के ‘फटी जींस’ पहनने पर अपनी असहमति प्रकट की। कहा कि भारतीय परिधानों को तवज्जो दी जानी चाहिए। उस कार्यक्रम में सभी स्थनीय समाचार पत्रों और न्यूज चैनलों के प्रतिनिधि मौजूद थे। दूसरे दिन यानि 17 मार्च को इस कार्यक्रम का समाचार सभी अखबारों और न्यूज चैनलों में प्रकाशित व प्रसारित हुए। ठीक उस संदर्भ में जैसा वहां वक्ताओं ने कहा और समझाना चाहा। लेकिन दो दिन बाद यानि 18 मार्च को नेशनल मीडिया में इस कार्यक्रम के दौरान दिए गए मुख्यमंत्री के भाषण की छोटी-छोटी वीडियो क्लीपिंग्स चलाकर उनकी कही गई बात का संदर्भ बदल दिया गया। प्रसारित किया गया कि मुख्यमंत्री तीरथ महिलाओं की आजादी के खिलाफ हैं। ‘फटी जींस’ पर कही गई उनकी बात महिलाओं के ‘जींस’ पहनने पर केन्द्रित कर दी गई। हैरानी की बात यह है कि नेशनल मीडिया जिसके प्रतिनिधि उस कार्यक्रम में मौजूद नहीं थे, उन्होंने एक अभियान के तौर पर संदर्भ बदलते हुए इस खबर को वायरल किया। मानो आधी आबादी के वजूद पर संकट खड़ा हो गया हो और युद्धस्तर पर इससे न निपटा गया तो आगे न जाने क्या हो जाएगा। बस यहीं पर बात समझने की है। वो कौन लोग हैं जो सामान्य तौर पर कही गई ‘बात’ का ‘बतंगड़’ बनाने की फिराक में बैठे रहते हैं और मौका मिलते ही उसे अपने एजेंडे के माफिक भुनाने में देर नहीं करते। बेवजह विवाद होने से कहीं न कहीं उत्तराखण्ड का ही तो नुकसान होता है। खासकर देवभूमि की प्रतिष्ठा झुलस जाती है। कुछ सिरफिरे तो मुख्यमंत्री के परिजनों के फोटो तक शेयर करने लगे। सोचिए! इस वक्त देश और दुनिया में कहां तो चर्चा होनी चाहिए थी हरिद्वार ‘कुंभ’ की और कहां समय जाया हो रहा है ‘जींस’ पर। सवाल तो यह भी है कि ऐसे बखेड़ा खड़ा करने के लिए मीडिया संस्थानों को कोई फंण्डिग तो नहीं हो रही ? वरना, जो चैनल चारधाम कपाट खुलने-बंद होने की खबर तक को चंद सेकेंड्स में निपटा देते हैं, उन्होंने इस मुद्दे पर तथाकथित विशेषज्ञों का पैनल बैठाकर अपने स्टूडियों में घण्टों चर्चा क्यों करवाई। कौन लोग हैं जिन्होंने ‘जींस’ को ट्विटर पर टॉप ट्रेंड करवा दिया। आखिर इस प्रकरण में फजीहत तो उत्तराखण्ड की हुई।

22 Views
Continue Reading

More in उत्तराखंड

Like Our Facebook Page

Latest News

Author

Author: Shakshi Negi
Website: www.gairsainlive.com
Email: gairsainlive@gmail.com
Phone: +91 9720310305