Connect with us

Big breaking:-हाई कोर्ट ने सरकार को दिया बड़ा झटका ,टेक होम राशन योजना में टेंडर प्रक्रिया पर रोक

उत्तराखंड

Big breaking:-हाई कोर्ट ने सरकार को दिया बड़ा झटका ,टेक होम राशन योजना में टेंडर प्रक्रिया पर रोक

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए टेक होम राशन की आपूर्ति के लिए जारी टेंडर प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की. ये याचिका हरिद्वार जिले की लीबहेड़ी स्वयं सहायता समूह की तरफ से दायर की गई थी.

कोर्ट ने इस मामले में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय उत्तराखंड सरकार की ओर से 8 अप्रैल 21 को पुष्टाहार टेंडर प्रकिया पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है.मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 3 सप्ताह बाद की तिथि नियत की है. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ में हुई. मामले के अनुसार हरिद्वार के स्वयं सहायता समूह लीबहेड़ी ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. उन्होंने याचिका के जरिए कोर्ट को बताया था कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के अनुसार आंगनबाड़ी केंद्रों में पुष्टाहार की सप्लाई के लिए जो भी टेंडर निकाले जाएंगे,

उसमें स्वयं सहायता समूहों व ग्रामीण समूहों को वरीयता दी जाए. लेकिन सरकार ने इस टेंडर में जान बूझकर ऐसी शर्तें रखीं, जिन्हें संस्थाए पूरी नहीं कर पा रही हैं.याचिकाकर्ता के मुताबिक इस टेंडर में वही प्रतिभाग करेंगे, जिनका तीन साल का टर्नओवर तीन करोड़ से ऊपर होगा. वहीं टेंडर प्रक्रिया में शामिल होने के लिए 11 लाख 24 हजार रुपये की धरोहर राशि रखी गयी है. जबकि पहले भी उनसे पौष्टिक आहार खरीदा गया था. तब ऐसी कोई शर्तें नहीं थीं.याचिकाकर्ता ने बताया कि सरकार ने इस टेंडर प्रक्रिया में अब प्राइवेट कंपनियों को भी प्रतिभाग करने की छूट दे दी है. इससे स्षप्ट होता है कि सरकार उनको इस टेंडर प्रक्रिया से बाहर करना चाहती है.

यह भी पढ़ें -  देर रात डीएम देहरादून की बार एवं पब पर ताबड़तोड़ कार्यवाही, निर्धारित समय के बाद भी खुला होने पर जड़ा ताला

क्योंकि कोई भी महिला समूह इतनी बड़ी शर्त पूरा नहीं कर सकती है.सरकार ने इन समूहों को सामान की गुणवत्ता, पैकिंग और लेबलिंग स्टोरेज आदि सम्बन्धित कई तरह का प्रशिक्षण पूर्व में दिया था. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का अनुपालन नहीं किया है. सुप्रीम कोर्ट ने महिला समूहों को बढ़ावा देने के लिए इस टेंडर में उन्हें शामिल करने को कहा था.हरिद्वार के लीबहेड़ी में चेतना स्वयं सहायता समूह, सन्तोषी माता स्वयं सहायता समूह, लक्ष्मी बाई स्वयं सहायता समूह, कृष्णा स्वयं सहायता समूह, गायत्री स्वयं सहायता समूह व अम्बेडकर स्वयं सहायता समूह हैं. इनका कहना था कि सरकार की इस नीति से स्वयं सहायता समूहों का अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगा.

यह भी पढ़ें -  मुख्यमंत्री धामी का गैरसैण से प्रेम: बिना सुरक्षा के अचानक गैरसैण पहुंचे CM, आज वही बिताएंगे रात

क्या है THR योजना: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल में 2014 में टेक होम राशन के नाम से एक योजना शुरू की गई थी. इस योजना को महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से संचालित किया जाता है. टेक होम राशन योजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों से नवजात शिशुओं, कन्या और अन्य कई योजनाओं के तहत पात्रों को राशन का वितरण किया जाता है.इस राशन की सप्लाई विभिन्न स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से कराई जाती है. इस व्यवस्था के तहत स्वयं सहायता समूहों की जुड़ी महिलाएं राशन की खरीद बाजार से करती हैं. इसकी पैकिंग के लिए बैग, लिफाफे आदि समूह में काम करने वाली महिलाएं खुद से तैयार कर लेती हैं. उन्हें इस काम के बदले विभाग से भुगतान कर दिया जाता है.लेकिन इसी साल 8 अप्रैल को निदेशालय महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग ने एक विज्ञापन जारी करके टेक होम राशन के लिए ई-निविदा मांगी थी. अब ये काम ठेके पर किसी कंपनी को दिया जाएगा. इसी को लेकर गीता मौर्य और श्यामा देवी ने तीलू रौतेली पुरस्कार भी वापस किया था. वहीं इस मामले पर हरीश रावत ने सरकार को निशाने पर लिया था.इस मामले पर पहले कहा जा रहा था कि इस योजना के कारण प्रदेश की करीब एक लाख महिलाओं का रोजगार छीना जा रहा है. हालांकि बाद में कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य ने स्पष्ट किया था कि पूरे प्रदेश में इस योजना में केवल 154 समूह ही कार्यरत हैं. इनमें से भी 6 जिलों में कोई भी समूह इस योजना पर कार्य नहीं कर रहा है. चूंकि यह योजना ‘पोषण पूरक’ योजना थी फिर भी विभाग ने इसे रोजगारपरक की व्यवस्था दी.

Continue Reading

More in उत्तराखंड

Like Our Facebook Page

Latest News

Author

Author: Shakshi Negi
Website: www.gairsainlive.com
Email: gairsainlive@gmail.com
Phone: +91 9720310305